योगी जी कितने अज्ञानी हैं कि उनको कुछ भी पता नहीं और शिव जी द्वारा श्रपित नदी के किनारे दिपावली मना रहे हैं ,सरयू की पूजा कर रहे हैं आरती उतार रहे हैं। योगी जी कम से कम "उत्तर रामायण" ही पढ़ लेते।
अयोध्या :- एक सच्चा अनुभव बात 1998-99 के आसपास की है। मेरे एक अभिन्न और पारिवारिक मित्र ने एक दिन मुझसे कहा कि क्युँ ना कल फैजाबाद मैं अपने परिवार के साथ चलूँ ? हम लोग रास्ते में अपना काम कर लेंगे और फैमिली अयोध्या घूम लेगी , शाम को वापस हो जाएँगे। हमने कहा हाँ ये ठीक रहेगा और हम अगले दिन तड़के कार से मैं मेरा मित्र उनकी धर्मपत्नी और एक 4 साल की बेटी निकल गये। 6 दिसंबर 1992 की घटना के बाद अयोध्या के बारे में मेरे मन मे एक उत्सुकता पैदा हुई यद्धपि बाबरी मस्जिद के रहते कभी वहाँ जाने का भी विचार नहीं आया। अकेले जाना खतरनाक था पकड़े जाने पर ना जाने कौन कौन सी पूछताछ होती आने का कारण पूछा जाता फिर धाराएँ लगतीं। रास्ते में व्यापारिक कार्य करने में विलम्ब हो गया और हम शाम 5 बजे अयोध्या पहुंचे पर चुकिं विध्वन्स की धटना को अधिक दिन नहीं हुए थे तो सुरक्षा चकाचक लम्बी लम्बी बन्दूक लेकर जाने कहां कहां से आए काले गोरे जवान एक एक व्यक्ति को घूर घूर रहे थे वहां आकर लगा कि आना उचित नहीं था कहीं मेरे धर्म की पहचान हो गई तो फिर धारा उपधारा इतनी लगेंगी कि अगला पर्यट...